पटना/मसौढ़ी: बिहार में इन दिनों चल रहे विशेष मतदाता पुनरीक्षण अभियान के तहत बड़ी संख्या में लोग आवासीय प्रमाण पत्र के लिए आवेदन कर रहे हैं। सरकार द्वारा इस प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने और फर्जीवाड़े पर अंकुश लगाने के लिए कई निर्देश जारी किए गए हैं, विशेषकर सीमावर्ती जिलों में। लेकिन इसी बीच पटना जिले से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसने पूरी व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी है।
मिली जानकारी के अनुसार, पटना के मसौढ़ी अंचल कार्यालय द्वारा जारी किए गए एक आवासीय प्रमाण पत्र में एक कुत्ते की तस्वीर, नाम और पता अंकित कर उसे आधिकारिक रूप से जारी कर दिया गया। यह प्रमाण पत्र आरटीपीएस काउंटर के माध्यम से जारी हुआ था। जब यह दस्तावेज़ सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, तब जिला प्रशासन की नींद खुली और पूरे मामले की जांच शुरू की गई।

स्थानीय सूत्रों के अनुसार, किसी शरारती तत्व ने यह आवेदन जानबूझकर किया और अफसरों की अनदेखी के चलते यह प्रमाण पत्र सिस्टम से जारी भी हो गया। हैरानी की बात यह है कि आवेदन की स्क्रूटनी, दस्तावेज़ मिलान और फोटो सत्यापन जैसी मूलभूत प्रक्रियाएं पूरी तरह से नजरअंदाज कर दी गईं।
इस मामले के प्रकाश में आने के बाद पटना जिला प्रशासन ने संज्ञान लेते हुए संबंधित अंचलाधिकारी और आरटीपीएस कर्मियों से जवाब-तलब किया है। वहीं, सोशल मीडिया पर लोग प्रशासन की इस लापरवाही पर तीखी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं।
गौरतलब है कि राज्य सरकार ने पहले ही स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं कि आवासीय प्रमाण पत्र जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेजों को जारी करने से पहले सभी तथ्यों की अच्छी तरह से जांच की जाए। इसके बावजूद ऐसी घटनाएं सामने आना प्रशासनिक उदासीनता और जवाबदेही की कमी को उजागर करता है।
अब देखना यह होगा कि जिला प्रशासन इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर क्या कार्रवाई करता है और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए क्या ठोस कदम उठाए जाते हैं।